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Friday, August 04, 2006

सोखी

बुरके में छिपे शक्स से बोला ,शक्ल दिखाइये।
सोखी देखिये ,बोली चाँद देखिये ॥

जब बोला दो एक तस्बीर तुम अपनी मुझे ।
गुलाबी फूल दोनो हाथो से हमको पकडा दिये ॥

वो इस कदर है चंचल जैसे बच्चो की हो किताब ।
हमको “भ्रमर” जीवन के सब रंग दिखा दिये॥

1 Comments:

Anonymous Anonymous said...

सोखी बोले तो ??

2:19 PM  

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