किस्से जो अधूरे रह गये
जो पलकों पर रह्ते थे कभी
उन्हे नजरों से कैसे गिरा गये ।
हम जिन्दगी के आस में।
क्यूँ मौत में समा गये।
वो जिन्दगी में हमको सिर्फ गमे दर्द दिला गये।
वही देगें हम तुझे ,जो आप से हम पा गये।
मंजिल से तूने हमको यूँ भटका दिया ;
कि राहों से खुद ही पूछ्ते कहाँ को निकले हम।
ऐ राह हमको यह रात ;तेरे दर पर काटनी।
मन्दिर मे जा पडेगे ;गर मधुशाला होगी बन्द!!
उन्हे नजरों से कैसे गिरा गये ।
हम जिन्दगी के आस में।
क्यूँ मौत में समा गये।
वो जिन्दगी में हमको सिर्फ गमे दर्द दिला गये।
वही देगें हम तुझे ,जो आप से हम पा गये।
मंजिल से तूने हमको यूँ भटका दिया ;
कि राहों से खुद ही पूछ्ते कहाँ को निकले हम।
ऐ राह हमको यह रात ;तेरे दर पर काटनी।
मन्दिर मे जा पडेगे ;गर मधुशाला होगी बन्द!!
3 Comments:
बहुत हीं सुन्दर रचना ।
स्वागत है ।
गुलमोहर का फूल
वो जिन्दगी में हमको सिर्फ गमे दर्द दिला गये।
वही देगें हम तुझे ,जो आप से हम पा गये।
are bhaaI pyaar me badale kee bhaavanaa? स्वागत है आपका
ब्लॉग की दुनिया में आपका स्वागत है, आपके लेखन में प्रखरता की आकांक्षी हूँ .......
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