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Friday, August 04, 2006

किस्से जो अधूरे रह गये

जो पलकों पर रह्ते थे कभी
उन्हे नजरों से कैसे गिरा गये ।


हम जिन्दगी के आस में।
क्यूँ मौत में समा गये।

वो जिन्दगी में हमको सिर्फ गमे दर्द दिला गये।
वही देगें हम तुझे ,जो आप से हम पा गये।

मंजिल से तूने हमको यूँ भटका दिया ;
कि राहों से खुद ही पूछ्ते कहाँ को निकले हम।

ऐ राह हमको यह रात ;तेरे दर पर काटनी।
मन्दिर मे जा पडेगे ;गर मधुशाला होगी बन्द!!

3 Comments:

Blogger Chandan Kumar Jha said...

बहुत हीं सुन्दर रचना ।

स्वागत है ।

गुलमोहर का फूल

7:38 AM  
Blogger निर्मला कपिला said...

वो जिन्दगी में हमको सिर्फ गमे दर्द दिला गये।
वही देगें हम तुझे ,जो आप से हम पा गये।
are bhaaI pyaar me badale kee bhaavanaa? स्वागत है आपका

8:35 AM  
Blogger ज्योत्स्ना पाण्डेय said...

ब्लॉग की दुनिया में आपका स्वागत है, आपके लेखन में प्रखरता की आकांक्षी हूँ .......

12:04 AM  

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